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माता-पिता की एक छोटी सी चूक की वजह से पैदा हो जाते हैं किन्‍नर, भूल से भी न करें ऐसा…

इस समाज में स्‍त्री पुरूष के अलावा एक अन्य वर्ग भी है जिसे न तो पूरी तरह से पुरूष माना जाता है और न ही स्‍त्री। जिसे लोग हिजड़ा या फिर कि’ न्नर के नाम से बुलाते हैं। इस जाति के बारे में लोगों को जानने की उत्सुकता हमेशा से रहती है। वैसे तो आपने अपने घरों के आसपास किसी ख़ुशी के मौके पर कि’ न्नरों को नाचते तो देखा ही होगा। इतना ही नहीं आपने कई बार तो शादी-ब्याह या फिर बच्चे का मुंडन में भी इन्‍हें कहीं गाते-बजाते या फिर किसी ट्रेन में पैसे मांगते तो देखा ही होगा।

लोगों के मन में कि न्नरों को लेकर आज भी तरह-तरह के सवाल आते हैं, जिनके बारे में जानने की उनमें तीव्र उत्सुकता होती है। इनमें एक सवाल बेहद कॉमन है और वह ये कि आखिर ये पैदा किन वजहों से होते हैं? एक मां के पेट से बच्चा कि’ न्नर कैसे पैदा होता है? आखिर मां-बाप से ऐसी भी क्‍या गलती हो जाती है जिससे कि उनके घर एक कि’न्‍नर का जन्‍म होता है?

 

जो सभी लोगों के ज़हन में आते हैं। जैसे कि यह कैसे रहते होंगे? किस वजह से ये ऐसे पैदा हुए? और इनकी शारीरिक इच्छाएं क्या होती होंगी। आखिर क्‍यों इनका जन्‍म किर प्रजाति में ही हुआ, क्या ऐसा इनके मां-बाप में कमी के कारण होता है? आमतौर पर हर त्योहार और जश्न के मौकों पर जिस तरह हर धर्म समुदाय के लोग आपस में मिलते है उस तरह कि न्नर हर मौके पर नही आते। कि न्नर सिर्फ खास मौकों पर ही आते है।

मेडिकल साइंस के अनुसार, महिला के गर्भवती होने के तीन महीने के अंदर ही गर्भ में पल रहे शिशु का विकास होना प्रारंभ हो जाता है।इस दौरान शरीर के अंदर कई तरह की हारमोनल चेंजेस होते हैं जिससे बच्चे के कि न्नर पैदा होने की संभावना बढ़ जाती है।बता दें, गर्भावस्था के बाद का तीन महीना काफी अहम होता है। कभी-कभार मां को बुखार की समस्या भी होती है जिससे राहत पाने के लिए कई बार हम अपनी जानकारी के मुताबिक कोई भी दवा ले लेते हैं।

 

इन दवाओं के हैवी डोज का असर मां के गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। इसीलिए गर्भावस्था में गलती से भी हैवी डोज की दवाईयां न लें। प्रेग्नेंट महिला को अपने खानपान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। इस समय केमिकली टिट्रेड या पेस्टिसाइड्स वाले फल और सब्जियों का सेवन ना करना ही बेहतर है।

प्रेग्नेंसी में व्यायाम या एक्सरसाइज जरूर करें, लेकिन बस इतना ध्यान रखें कि कही शरीर में चोट न लगे और अगर ऐसा होता है तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें क्योंकि एक छोटी सी चोट बच्चे के जें डर पर बुरा असर डाल सकता है।इन सबके अलावा अगर मधुमेह, थायराइड या मिर्गी जैसी किसी भी समस्या से ग्रस्त होने पर इस बारे में डॉक्टर से खुलकर बात करें। हालांकि कभी-कभार सावधानियां बरतने के बावजूद घर में कि न्नर बच्चे का जन्म होता है और ऐसा होना जेनेटिक डिसआॅर्डर के अन्तर्गत आता है।

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